महिला अध्ययन एवं विस्तारित गतिविधि केन्द्र
परिचय
राज्यपाल सचिवालय, उत्तर प्रदेश के पत्र संख्या ई-3354/जी0एस0, दिनांक 28 मई, 2021 के अनुपालन में बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वाभिमान, आर्थिक स्वावलम्बन एवं तकनीकी संसाधनों के प्रयोग के लिए प्रेरित करने तथा परम्परागत कुरीतियों से सजग किये जाने हेतु उ.प्र. राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय के पत्रांक ओ0यू0/121/2021 दिनांक 10 जून, 2021 द्वारा इस विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन एवं विस्तारित गतिविधि केन्द्र की स्थापना की गई है।
पृष्ठभूमि
माननीया राज्यपाल, उत्तर प्रदेश एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल के निर्देशानुसार उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में आउटरीच एवं विस्तार कार्यक्रमों के अन्तर्गत महिला उत्थान गतिविधियों के आयोजन संबंधी विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिनके प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं -
  • महिला उत्थान की गतिविधियों के संचालन का आशय यह नहीं है कि इन्हें विश्वविद्यालय में किसी केन्द्र के माध्यम से औपचारिक कोर्सेस चलाकर संचालित किया जाए।
  • विश्वविद्यालय ऐसे केन्द्र के रूप में कार्य करे जिसके माध्यम से इसके कार्य क्षेत्र में आने वाले सभी ग्रामीण क्षेत्र, स्लम एरिया, नगरीय क्षेत्र आदि में बालिकाओं एवं महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वाभिमान एवं आर्थिक स्वावलंबन हेतु प्रेरित किया जाए और उन्हें समाज में व्याप्त परंपरागत कुरीतियों के विरुद्ध सचेत किया जा सके।
  • विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ महिला जगत को अधिक से अधिक प्राप्त हो सके, इस बारे में उन्हें जानकारी और व्यावहारिकता से अवगत कराया जाए।
  • सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के साथ गहन पैठ बनाई जाए और उनसे घुलमिल कर उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया जाए। फिर गाँवों में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा महिलाओं से जुड़े हुए मुद्दों पर उनसे चर्चा करने का प्रयास किया जाए।
  • सभी गतिविधियाँ राज्य सरकार संचालित नहीं कर सकती। स्थानीय आवश्यकताओं को चिह्नांकित किया जाए और उसके लिए स्थानीय स्तर पर गैर सरकारी संस्थाओं, संगठनों आदि की सहभागिता से निदान की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए।
  • पत्र दिनांक 28 मई, 2021 में वर्णित सभी गतिविधियाँ पूरे विश्वविद्यालय के कार्य क्षेत्र में आयोजित कराई जाएँ।
  • विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में अध्ययनरत/अध्यापनरत महिलाओं/छात्राओं को इन कार्यक्रमों से जोड़ा जाए, आदि-आदि।
प्रस्तावना
      महान स्वतंत्रता सेनानी, भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन के नाम पर प्रयाग की पावन धरती पर सन् 1999 में स्थापित उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय प्रदेश का एक मात्र दूरस्थ शिक्षा मुक्त विश्वविद्यालय है। माननीया कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के कुशल नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय अपने सामाजिक सरोकारों के प्रति निरन्तर सजग है। समाज के वंचित वर्गों को शिक्षा उपलब्ध कराने के अभियान में नवाचारी व्यवस्थाओं द्वारा यह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा को निरन्तर व्यावहारिक आयाम प्रदान कर रहा है। समावेशी सामाजिक विकास की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करते हुए विश्वविद्यालय ट्रान्सजेंडरों और जेल के कैदियों को भी उच्च शिक्षा एवं कौशलों का ज्ञान प्रदान कर विकास की मुख्य धारा में शामिल करने हेतु प्रतिबद्ध है।

       आज जबकि हमारा वर्तमान भारतीय समाज परम्परागत रूढ़ अन्धविश्वासों, तर्कहीन, असंगत धार्मिक बंधनों से मुक्त होकर एक नए युग में प्रवेश कर चुका है तो सामाजिक ढाँचे के साथ सम्बन्धों और संस्कारों में भी परिवर्तन होना समय की माँग है। पुरुष जनसंख्या ही विकास करके देश का सम्पूर्ण उत्थान नहीं कर सकती। इसके लिए देश की आधी आबादी को भी प्रकाश में लाना पड़ेगा। आज महिलाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है, खास तौर पर ग्रामीण महिलाओं को, क्योंकि शहरी और पढ़ी-लिखी महिलाओं की अपेक्षा परम्परागत व्यामोह ग्रामीण अंचलों की महिलाओं में अभी भी प्रभावी है, और उनमें अपने जीवन के प्रति सजगता की कमी दिखाई देती है। तमाम प्रयासों के बावजूद कन्या भू्रणहत्या, दहेज प्रथा, लैंगिंक भेदभाव, पर्दा प्रथा, बाल विवाह आदि अनेकों कुरीतियाँ अभी भी समाज में विद्यमान हैं। ये सब महिलाओं हेतु विकास के अवसरों की समानता की दिशा में ऐसे रोड़े हैं, जिन्हें दूर किए बिना समावेशी विकास का सपना अधूरा ही रहेगा।

       माननीया कुलाधिपति की महिला विकास की पुनीत और मंगलकारी अवधारणा से प्रेरित होकर उनके इस स्वप्न को साकार करने की दिशा में विश्वविद्यालय ने महिला अध्ययन केन्द्र की स्थापना द्वारा अपनी सक्रिय सहभागिता का दृढ़ संकल्प लिया है। इस केन्द्र की ओर से गाँवों की महिलाओं हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, आर्थिक आत्मनिर्भरता आदि के लिए सामुदायिक एवं प्रसार कार्यों के आयोजन की एक नई मुहिम विश्वविद्यालय में शुरू हुई है। मुझे आशा ही नहीं वरन विश्वास है कि यह महिला अध्ययन केन्द्र विश्वविद्यालय के सामाजिक सरोकारों और प्रसार गतिविधियों के क्षेत्र में उत्तमता के अनेक नये आयामों को उद्घाटित करेगा। मैं इस केन्द्र के समन्वयकों और सदस्यों को अपने कार्य की प्रभावी शुरुआत के लिए साधुवाद तथा मंगलमय भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देती हूँ।
लक्ष्य व उद्देश्य:
  • परिवार, समाज और सभ्यता में महिलाओं की भूमिका के बारे में जागरूकता लाना।
  • महिलाओं को प्रभावित करने वाली समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा द्वारा महिला कल्याण हेतु सैद्धांतिक और व्यावहारिक आधार का विस्तार करना।
  • अपने जीवन के बारे में महिलाओं की धारणा, व्यापक सामाजिक वास्तविकता तथा उसमें उनके संघर्ष एवं आकांक्षा को जानना और व्याख्यायित करना।
  • समाज में असमानता की जड़ों और ढाँचों को पहचानना तथा उनके कारण महिलाओं के विकास में आने वाले अवरोधों की पहचान करना।
  • समतामूलक समाज की स्थापना तथा स्त्री अपराधमुक्त समाज की संकल्पना पर बल देते हुए महिला सम्बन्धी वैश्विक दृष्टिकोण के अध्ययन व समीक्षा द्वारा भारतीय सन्दर्भ में एक समन्वित अवधारणा प्रसार करना।
  • विकास की प्रक्रिया में महिलाओं के योगदान को सुनिश्चत करने की दिशा में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का सहयोग लेना।
कार्यक्रम:
  • यह केन्द्र बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वाभिमान, आर्थिक स्वावलंबन एवं तकनीकी संसाधनों के प्रयोग के लिए प्रेरित करेगा।
  • इस केन्द्र द्वारा समाज में महिलाओं के विरुद्ध व्याप्त परंपरागत कुरीतियों से उन्हें सजग किया जाएगा।
  • महिलाओं के अंदर सुरक्षा का भाव जाग्रत करने के लिए समितियों का गठन किया जाएगा।
  • यह केन्द्र बालिकाओं और महिलाओं के कल्याण से संबंधित सरकारी योजनाओं की जानकारी उन तक पहुँचाने का कार्य करेगा।
  • केन्द्र का प्रमुख फोकस गाँव की महिलाओं के अंदर से झिझक दूर करना है, जिससे वे सामाजिक कुरीतियों, जैसे-बाल विवाह, लैंगिक असमानता, पर्दा प्रथा, दहेज, कन्या भू्रणहत्या आदि के खिलाफ आवाज उठा सकें।
  • बालिकाओं को लैंगिक भेदभाव और किशोरावस्था से जुड़े मुद्दों पर जानकारी दी जाएगी तथा आने वाले जीवन की जिम्मेदारियों से अवगत कराया जाएगा।
  • बेटियों को पढ़ाने तथा उन्हें घर से बाहर निकलने देने के लिए उनके माता-पिता को प्रेरित किया जाएगा।
  • यह केन्द्र वर्ष भर महिलाओं के विकास से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिनमें महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर प्रमुखता से ध्यान दिया जाएगा।
  • बच्चों को पोषणयुक्त आहार की सुनिश्चिता के लिए भी यह केन्द्र जागरूकता अभियान चलाएगा।
  • यह केन्द्र महिलाओं के लिए बनाए गए कानूनों के बारे में भी उन्हें जानकारी देगा।
  • इस केन्द्र की मासिक गतिविधियों और सुझावों की रिपोर्ट राज्यपाल सचिवालय को भी प्रेषित की जाएगी।
गतिविधियाँ:
  • महिला अध्ययन केन्द्र, विश्वविद्यालय द्वारा अंगीकृत निकटवर्ती गाँवों में महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वाभिमान एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए तथा तकनीकी संसाधनों के प्रयोग के प्रति उनमें जागरूकता लाने और सामाजिक कुप्रथाओं के विरुद्ध उन्हें सजग करने के लिए अनेक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।
  • विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्रों तथा अध्ययन केन्द्रों द्वारा भी प्रदेश भर में विभिन्न गाँवों तथा आस-पास के इलाकों में महिला जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
  • विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंगीकृत गाँवों में महिलाओं को किसी एक कार्यक्रम में प्रवेश लेने पर 50% शुल्क मुक्ति का प्रावधान भी रखा है ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएँ विश्वविद्यालय के शैक्षिक एवं रोजगारपरक कार्यक्रमों का लाभ उठा सकें।
  • विष्वविद्यालय, महिला अध्ययन केन्द्र, क्षेत्रीय केंद्रों तथा अध्ययन केंद्रों द्वारा वर्ष भर विभिन्न प्रकार के आयोजनों द्वारा महिला उत्थान संबंधी निम्न गतिविधियों का संचालन निरंतर किया जा रहा है, जिनमें प्रमुख हैं-
    • ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वावलंबन के प्रति जागरूक करने हेतु गाँवों में कार्यक्रमों का आयोजन।
    • ग्रामीण महिलाओं व किशोरियों के लिए COVID-19 महामारी तथा अन्य बीमारियों से बचाव व टीकाकरण के प्रति जागरूकता अभियान संचालित करना।
    • गाँवों में कार्यशालाएँ आयोजित करके महिलाओं, किशोरियों व बच्चों को संतुलित पौष्टिक आहार, स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूक करना।
    • सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों में विभिन्न प्रभावशाली रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से बालिकाओं व महिलाओं को समाज में व्याप्त कुप्रथाओं जैसे- दहेज प्रथा, लैंगिक असमानता, भ्रूण हत्या, बाल विवाह आदि के विरुद्ध सचेत और जागरूक करना।
    • ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा चलायी गई विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना और उन्हें इन योजनाओं से अधिकतम लाभ हेतु स्वयं सहायता समूह आदि गठित करके ग्राम प्रतिनिधियों व प्रशासन का सहयोग प्राप्त करने हेतु जागरूक करना।
    • राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय दिवसों पर या उनके उपलक्ष्य में उस माह विशेष में महिलाओं सम्बन्धी कार्यक्रमों तथा प्रसार गतिविधियों का आयोजन करना।
    • महिला अध्ययन क्षेत्र से संबंधित विषयों पर विष्वविद्यालय में सेमिनार, कार्यषालाओं, व्याख्यान कार्यक्रमों आदि का आयोजन करना।
केन्द्र के समन्वयक एवं सदस्यगण
समन्वयक त्रय
प्रो. रुचि बाजपेई
आचार्य,
मानविकी विद्याशाखा
प्रो. मीरा पाल
आचार्य,
स्वास्थ्य विज्ञान विद्याशाखा
डॉ. साधना श्रीवास्तव
सहायक आचार्य,
मानविकी विद्याशाखा
कार्यकारी समिति
डॉ. अतुल कुमार मिश्रा सदस्य
सहायक आचार्य, मानविकी विद्याशाखा
डॉ. शिवेन्द्र प्रताप सिंह सदस्य
सहायक आचार्य, मानविकी विद्याशाखा
श्री राजेश कुमार गौतम सदस्य
सहायक आचार्य, मानविकी विद्याशाखा

 

महिला जागरूकता कार्यक्रम (PDF)
महिला जागरूकता कार्यक्रम (Video)
महिला अध्ययन एवं विस्तारित गतिविधि केन्द्र
परिचय
राज्यपाल सचिवालय, उत्तर प्रदेश के पत्र संख्या ई-3354/जी0एस0, दिनांक 28 मई, 2021 के अनुपालन में बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वाभिमान, आर्थिक स्वावलम्बन एवं तकनीकी संसाधनों के प्रयोग के लिए प्रेरित करने तथा परम्परागत कुरीतियों से सजग किये जाने हेतु उ.प्र. राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय के पत्रांक ओ0यू0/121/2021 दिनांक 10 जून, 2021 द्वारा इस विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन एवं विस्तारित गतिविधि केन्द्र की स्थापना की गई है।